अयोध्या राज।
चक्रवर्ती राजन।
वृद्ध ह्वै जाएं।।
कौशल राज,
सुतविहीन हाय!
भए उदास॥
कीन तपस्या,
मिले ये वरदान,
हो पुत्रवान॥
श्रृंगी बुलाए,
आहुति यज्ञ दिए,
पुत्रकामेष्टि।
बीते नौ मास ,
कौशल्या के गर्भात,
प्रकटे राम।
मात सुमात्रा,
लछमन -शत्रुघ्न,
जनमे साथ॥
जने महान,
कैकई महारानी,
भरतलाल॥
चंचल नैन,
बांकी भृकुटी बैन,
छवि निहाल।।
छन-पैंजनि,
रुम-झुम बाजनि,
चलत-चाल॥
धावत राम,
भजैं पाछे मईया,
मचे ता थै या॥
युगल जोड़ी,
करें क्रीड़ा हो-होड़ी,
खेल-हंसोड़ी॥
गुरु बुलाए,
अवसर मिलाए,
संग पठाए॥
धनुष-बाण,
चौदह-कला ज्ञान,
गुरु की कृपा॥
ज़ारी…