प्रकृति के अजब खेल! मई में उत्तराखंड बारिश के लिए तरस रहा था;
जंगल जल रहे थे,
चारों और धुआँ औरधूल थी लगता ही नहीं था की हम पर्वतीय क्षेत्र में हैं लगता था
अपने शहर के ट्रैफिक से फैले प्रदूषण को साथ लिए घूम रहे हैं|
इतनी गर्मी और उमस की सांस फूलती से लगती थी|
अब बादल फट रहे हैं और तबाही मचा रहे हैं! असंतुलित व्यवहार पर क्यों?