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क्या और कैसे करें?

मार्च 9, 2008

श्रीमती अबस के तीन बेटियाँ हैं। उनके पति अवकाश प्राप्त कर चुके हैं पर अब भी कहीं कुछ अन्य काम करने जाते हैं। अबस की दो बड़ी बेटियाँ अपने परिवार के साथ उनके शहर में , उनके घर के आसपास ही रहतीं है जबकि सबसे छोटी कहीं विदेश में। हर तीजत्योहार बेटियाँ उनके घर आकर मनाती हैं। हारीबीमारी में माँबाप का ध्यान रखतीं हैं।बड़ी दोनों बेटियों के दोदो बच्चे हैं जो नानी के पास ही पले बढ़े हैं। नानी की और उनकी बहुत पटती है। अब सारे बच्चे स्कूल जाते हैं और लौटकर नानी के यहाँ खेलते हैं। शाम को जब मम्मी आतीं है उनके साथ अपने घर चले जाते हैं। अबस अपनी स्थायी आया के साथ घर का काम संभलवाती रहती हैं। चूँकि अबस रोज घर में रहतीं है तो उनकी इच्छा रहती है कि रविवार को चर्च के अलावा कहीं घूमने भी जाया जाए। वह पहले से ही प्रोग्राम बनाकर रखतीं हैं।

उनके पास गाड़ी नहीं है, पर दोनों बेटियों के पास है। दोनों बेटी और दामाद अपने साथ उनको गाड़ी में ले जाते हैं, परंतु दामादों को हफ़्ते में एक ही छुट्टी मिलती है, उनका काम रोजाना देर रात तक समाप्त होता है और सुबह उन्हें जल्दी जाना पड़ता है। एक रविवार ही होता है जब॔ वे आराम कर सकते हैं और घर में रह सकते हैं। वे अबस को मना नहीं कर पाते हैं, पर उत्साह भी नहीं दिखा पाते हैं। माँ से मना करना नहीं चाहते और न खुद …..चाहते। क्या करें? आजकल जीवन बड़ा जटिल हो गया है। सच में कोई भी तो गलत नहीं और न हीं उपेक्षा कर रहा है पर…? करें तो क्या करें? जिससे माँ का मन भी न मरे और उनकी छुट्टी घर पर मने।