दो साल से चिट्ठा लिख रही हूँ। लिखने से ज़्यादा पढ़ लेती हूँ। सबकुछ यहाँ मिलता है। हर विधा के नए–नए रुप सामने आते रहते हैं। पर मेरा मन ब्लॉग को विधा कहने में …ता है। विधा लेखन शैली का प्रकार होती है ब्लॉग लेखन शैली के प्रकार से ज़्यादा प्रकाशन का प्रकार है। भविष्य में हमारे देश में भी सभी किताबें संगणक पर मिलेंगीं। नाम हम उनका कुछ भी दे दें पर वह पुस्तक का आधुनिक रुप भी कहलाएँगीं, ठीक वैसे ही चिट्ठा भी प्रकाशन का बदला रुप है न कि लेखन के प्रकार का।
हम अपने भाव और विचारों को अभिव्यक्त अलग–अलग विधा में करते हैं। पर लिखते तो कलम और स्याही से काग़ज पर ही हैं। ठीक इसी तरह चिट्ठा लिखा जाता है। चाहे कहानी लिखें या वार्ता, लेख लिखें या कविता , सभी प्रकाशित एक ही तरह से होते हैं। प्रस्तुति कंप्यूटर पर भिन्न–भिन्न तरह से हो सकती है। उदाहरणतः लिखकर, बोलकर और चित्रों के माध्यम से। इसी तरह तो काग़ज पर होता है फिर विधा तो नहीं कहलाएगी। हाँ नवीनतम प्रकाशन–तकनीक और प्रस्तुति की प्राप्ति का तरीक़ा नया अवश्य ही कहलाएगा।
हमने पत्थर पर लिखा है तो कभी भोजपत्र पर और कभी रेशमी कपड़े पर तो कभी रेत पर और मिट्टी की दीवार पर तो कभी स्लेट पर खड़िया से। आज हम कुंजीपटल से स्क्रीन पर लिखते हैं। यह सब अभिव्यक्ति–प्रकाशन के साधन हैं। न कि विधा के।