हमारे फ्लैट की बेल्कनी में तेज़ धूप रहने के कारण शाम पाँच बजे तक वहाँ का दरवाज़ा खोलते ही नहीं है।
कल शाम को जब दरवाज़ा खोला तो देखा बेबी म्याऊँ मज़े से गमले में पौधे के तने पर अपने दाँत पैने कर रही है। नन्हा विडियो देखा जा सकता है।
हमें देखते ही घबरा गयी और छिपने का कोना ढूढने लगी।
उसकी मम्मी कूदकर भाग गयी, पर ये तो कूदना जानती ही नहीं। इन्होंने पहले तो छिपने की कोशिश की, फिर हमें डराने-धमकाने के चक्कर में भी रहीं। इनकी बात ही निराली है।
हम परेशान कि कहीं डर के कारण ऊँचाई से कूद ही न जाए। हमने पुरानी कटोरी ढूंढी और ठंडा दूध इनके पास रखा। ये भूखी थी सो जीभ से पीने चलीं। ठंडे दूध से इन्हें फुरफुरी आने लगी। इन्होंने कटोरी को मुँह से पलट दिया और फ़र्श पर बहते दूध को चाट-चाटकर पी गयीं। देर रात जब दरवाज़ा पुनः बंद हो गया तब पता नहीं कब इनकी मम्मी आयी और कब इनको ले गयी। सुबह ये दूसरे फलैट की ग्रिल से झाँक रही थी।
सारे बेबी बहुत प्यारे होते हैं।