सूर्यवंशस्य
चारों भाई महान
कीर्ति-प्रसार॥
अवध-जन
पाकर युवराज
हर्षें अपार॥
विश्वामित्रजी
ऋषि-तपस्वी योगी
वन-आश्रमी॥
किए खंडित
सुबाहू औ’मारीच
तपस्या-यज्ञ॥
विश्वामित्र:
“कोई उपाय?
हे! कौशलाधिराज?
दो युवराज॥”
“बाधाएँ मिटें
राक्षस-वध करें
राम-लछन॥”
दशरथ:
“राम-लछन!!!
बाल कोमल तन !
नयनतारे”
वशिष्ठ आए
नृप शंका हटाए
मुनि हर्षाए॥
युगल भाई
ऋषि संग पठाए
यज्ञ बचाए॥
ताड़का मारी,
निशाचर पछाड़े,
ऋषि सुखारे॥
ज़ारी…