‘सब बदल गए हैं ‘
मापक तो वही हैं,
व्यापक भी वही हैं,
फिर क्यों संस्थापक बदल गये हैं?
उनके रीति-रिवाज़ बदल गये हैं?
बदलना था तो
बदलते कुरीतियों को
नये रिवाज़ बनाते
जोड़कर नीतियों को।
पर यह क्या कर दिया?
सारा का सारा चलन ही बदल दिया!
ना पैर ज़मीं पर है
ना सर आसमां की तरफ ,
किसी किसी बात का तो ना छोड़ा कोई हरफ।
सब यौगिक हो गये हैं,
सारे हालात बदल गये हैं
पश्चिम से रासायनिक क्रिया कर गये हैं।
किस तरह तत्व ज्ञान समझाऊं?
मूल तत्व तो रहा ही नहीं,
सब नया पदार्थ बन गये हैं।