(१)
कबूतर! इतना मोटा क्यों?
ज्यों चील का पोता हो!
पंजे-चोंच लाल हैं पर!
‘ग्रे कलर’ है तेरा क्यों?
(२)
बिल्ली न्यारी-न्यारी है,
‘म्यांऊँ’ करती प्यारी है।
छूने में रूई ज्यों,
पंजे इतने तेज क्यों?
(३)
डॉगी भौं-भौं करता है,
बात का पक्का है!
प्यार बहुत वह करता है,
मालिक के लिए मरता है!
(४)
चींटी! इतनी छोटी हो?
मोटी क्यों नही होतीहो?
भागी-भागी रहती हो,
क्यों नहीं रुकती रहती हो?
मार्च 16, 2007 को 22:06 |
A very good poem. Which , when anybody will read, will remember of his childhood.