नन्हों के लिए

 (१)

 

 

कबूतर!  इतना मोटा क्यों?

 

ज्यों चील का  पोता हो!

 

पंजे-चोंच  लाल हैं पर!

 

‘ग्रे कलर’  है तेरा क्यों?

  

 (२)

 

 

बिल्ली  न्यारी-न्यारी  है,

 

‘म्यांऊँ’ करती प्यारी है।

 

छूने  में रूई ज्यों,

 

पंजे इतने तेज क्यों?

  (३)

 

डॉगी भौं-भौं करता  है,

 

बात का पक्का है!

 

 

प्यार बहुत वह करता है,

 

मालिक के लिए मरता  है!

  

(४)

 

चींटी!  इतनी छोटी हो?

 

मोटी क्यों नही होतीहो?

 

भागी-भागी रहती हो,

 

क्यों नहीं  रुकती रहती हो?

One Response to “नन्हों के लिए”

  1. Aditya Says:

    A very good poem. Which , when anybody will read, will remember of his childhood.

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