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करेला और नीम पर चढ़ा

अप्रैल 25, 2008

करेला

 

 

 

जहाँ एक सब्जी है वही एक औषधि भी है। गर्मियों में जब पित्त विकार होने का डर ज़्यादा रहता तब करेले का सेवन रामबाण है। करेला ज़िगर की कार्यप्रणाली में सुचारुता लाने में सहायक माना गया है और कच्चेकड़वे करेले का रस निन्हे पेट पीने से पाचनशक्ति मजबूत होती है।

करेला

यूँ तो लोग कई तरह से बनाते हैं और उसमें मसालों की भरमार से अचार जैसा चटपटापन भी लाते हैं परंतु वह करेला अचार की तरह ही सेवन करना हो (थोड़ी मात्रा में) तो ठीक है वर्ना अजीर्ण कर सकता है। इसलिए आज सादा तरीके से करेला पकाते हैं। 

 

पाँच-छः करेले धोकर साफ करलें। फिर अपनी पसंद के छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उनपर नमक लगाकर धूप में रख दें। दो या तीन घंटे बाद उन्हें धोकर छलनी में रखें ताकि उनका पनी निचुड़ जाए। अब आग पर कड़ाही रखें और उसमें बहुत थोड़ा सा तेल डालकर गर्म करें गर्म तेल में दरदरे कुटे सौंफ़ और धनिया डालें जब वे हल्का भूरा होजाए तो उसमें करेले के टुकड़े डालदें। ऊपर से तीन नीबू का रस डाल दें। स्वादानुसार लालमिर्च का पाउडर डालें। ढककर बिल्कुल धीमी आग पर पकाएं। जब करेला गल जाए तो कड़छे से चलाकर भूनें और दाल-रोटी के साथ परोसें और

खाएँ।