नहीं पता बाकी लोग क्या कहते हैं पर हमने बचपन से इनका ’समां के चावल’ नाम सुना है। यह केवल नौरात्रि व्रत में ही खाए जाते हैं। अन्य फलाहारी व्रत में इनका प्रयोग नहीं होता। यह सफ़ेद रंग के सामान्य चावलों की किनकी जैसे होते हैं। लोग व्रत के चावल कहकर भी खरीद लेते हैं।
यूँ तो इनकी खीर भी बनायी जाती है पर हम तो नमकीन चीजे पसंद करते हैं इसलिए इन्हें नमकीन ही बनाते हैं।
आवश्यकता अनुसार चावलों को साफ़ करके कई बार पानी में धोकर लगभग पंद्रह मिनट के लिए भिगो देना चाहिए। इधर मुट्ठी-भर मखाने और काजू को थोड़े से घी में हल्का-हल्का भून लें।
एक बड़ा दुकड़ा नारियल की गिरि का कद्दूकस करलें। खीरा छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े में काट लें।
अब कड़ाही में थोड़ा सा घी डालकर उसमें चावल डाल दें और जितने चावल थे उतना ही पानी भी डाल दें। उसी में बाकी सब चीजें भी डाल दें और स्वादानुसार नमक और काली मिर्च डालें। जो लोग व्रत में हरी मिर्च खा लेते हैं वे हरी-मिर्च भी काटकर डालदे । हल्की आग पर पकने दें। बार-बार चम्मच से हिलाते रहें ताकि तले में लग न जाए। छः या सात मिनट में पककर तैयार है। घिया के रायते के साथ परोसे और व्रत तोड़ें।
सामग्री और तादाद नहीं लिख रही हूँ सब अपनी आवश्यकतानुसार लेते हैं।
हम दिन में ही खाना खाते हैं तो खा बैठे फोटो लिया ही नहीं। अब फिर किसी दिन बनाएंगे तो फोटो भी लगाएंगें 🙂
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शक्ति की उपासना का पर्व है नवरातें, शक्ति के आवाह्न का अट्ठवारा है नवरातें। हमें अपने मन की शक्ति का सबसे पहले आवाह्न करना चाहिए। मन शक्तिशाली है तो कोई भी लालच कमजोर नहीं कर सकता। शरीर के अंदर छिपी समस्त शक्तियों को पहचानने का व्रत भी है यह।
जय माता की।
सितम्बर 23, 2009 को 08:17 |
बहुत बढिया विधी बताई आपने. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
सितम्बर 23, 2009 को 08:16 |
aare waah hame pata hi nahi tha aise bhi chawal hote hai.bazar mein dekhna padega.navratri ki bahut badhai.