जोशीमठ


टिहरी झील देखने के लोभ में देर शाम को ही चल पड़े। पर कैमरे की बैटरी चार्ज्ड न होने के कारण झील के फोटो न ले सके। राशंकराचार्य-मठत साढ़े ग्यारह बजे श्रीनगर पहुँचे। मुँह-अँधेरे सुबह-सुबह बद्रीनाथ के लिए चल पड़े।
नौ बजे के आसपास जोशीमठ पहुँच गए। पर हमारे पहुँचने के3 कुछ पल पहले ही जाने वाली गाड़ियाँ रोक दी गयीं। वहाँ वन-वे ही है। अब गाड़ी तो आगे फंस गयी ज़्यादा दूर जा नहीं सकते तो वही आस-पास देखने लगे। बिल्कुल पास में ही आदि-शंकराचार्य का मठ है। जो धरोहर है। वर्तमान शंकराचार्य तो अलग दूसरी आधुनिक बिल्डिंग में रहते हैं।
धरोहर के चित्र दिए जा रहे हैं। यहाँ सफ़ाई बहुत थी। बहुत पुरानी वास्तुकला का सुंदर नमूना। इन दरवाज़ों को देखकर हमें अपने पुश्तैनी घर की याद आयी थी वहाँ के दरवाज़े भी ऐसे से ही थे। यहाँ पुताई और रंगाई बहुत गहरे चटकीले रंग की है। बिल्कुल संग्रहालय। कहते हैं यहाँ शास्त्रार्थ हुआ करते थे। कल्पना में अनेक चित्र बने।
चारों ओर खुमानी के वृक्ष शोभा तो बढ़ा ही रहे थे साथ ही फलों से लदे होने के कारण मंद-सुगंध भी फैला रहे थे।
बाहर आकर हमने चाय पी और आस-पास की दुकानों से गर्म कपड़े भी लिए यात्रा को यादगार बनाने के लिए। दो घंटे बाद फाटक खुल गया और हम गंतव्य की ओर बढ़ गए।

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7 Responses to “जोशीमठ”

  1. prasanna vadan chaturvedi Says:

    बहुत बढ़िया जानकारी!धन्यवाद|

    Ans- thanks for comment.

  2. ताऊ रामपुरिया Says:

    लाजवाब यात्रा वृतांत. बहुत सुखद लगा जोशी मठ की सैर करना.

    रामराम.

    उ०= धन्यवाद

  3. समीर लाल Says:

    सुन्दर दर्शन कराये, आभार.

    उ०= धन्यवाद!

  4. munish Says:

    I tasted a lot of khumani there, freshly plucked and very tasty!

    उ०= धन्यवाद!

  5. Dr.Manoj Mishra Says:

    बहुत बढ़िया जानकारी,वाकई अच्छी जगह .

    उ०= धन्यवाद!

  6. mahendra mishra Says:

    बहुत बढ़िया जानकारी देने के लिए धन्यवाद.

    उ०= धन्यवाद!

  7. nirmla Says:

    वह वह आपने तो हमे भी जोशीमठ की सैर करवा दी बहुत सुन्दर है आभार्

    उ०= धन्यवाद!

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