प्रयोग की शक्ति प्रचार से अधिक है। प्रचार योजनाबद्ध और बोझिल होता है जबकि प्रयोग सरल और स्वतः होता है।
हिंदी – आम-आदमी की भाषा है। अनपढ़ गंवार की भाषा है। पर जब उसे नामी लोग बोलते हैं तो हिंदी की इज़्ज़त हो जाती है। वरना तो..
थोड़े को बहुत समझना नहीं तो यह, यह और वह भ्री पढ़ लेना 🙂