Archive for the ‘व्यंग’ Category

पीठ दिखाना तो कायरता है?

मार्च 21, 2009

मुझे पता है यह बात कि पीठ दिखाना तो कायरता है। मैं कौन सी पीठ दिखा रही हूँ, मैं तो सोने की कोशिश कर रही हूँ। उसके लिए दुनिया में बहुत से मनुष्य पड़े हैं। वो क्या है कि कल मैं ने कई चूहे और छछूंदर भक्ष लिए। बदहज़मी हो गयी है। न कुछ काम का मन है और शिकार की तलाश तो ओवरड्यू हो रही है। इसलिए यह जगह ठीक लगी, न तो यहाँ कोई कुता झपटेगा और न भौंककर ही मेरी नींद खराब करेगा। इसलिए यूँ पड़ी हूँ। यहाँ पर कोई नहीं आएगा, सो लापरवाही से लेट रही हूँ।

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