फूलों का पालना सा,
लगता था तेरा आँचल।
तेरा हाथ फिरता सर पर,
देता था मन को ताकत।
तेरा बार-बार समझाना,
देता था मुझको साहस।
अब बात हों तो कैसे?
मिलती है तू आकर?
चाहत को पूरी कर दे,
सपने ही में आकर।
माँ का न कोई सानी,
बतलाया तूने जाकर।
रहता है ख्याल हरपल,
ये दिन देता है रुलापर।
न कोई रिश्ता बढ़कर,
कहती हूँ क़सम खाकर।
देवी-देवता भी पीछे,
पहले है माँ बस।