हाथी निकल गया, बस पूंछ की नोक बाक़ी है। साल बीत गया बस दो दिन बीतने बाक़ी हैं। यह इस साल की सबसे बाद वाली पोस्ट रहेगी। यह साल वैसे तो साधारण ही रहा पर एक बात– कुछ क्या बहुत कुछ खास रही। परिवार में नयी दुलहन आयी। दुलहन क्या जीता जागता खिलौना है। उच्च शिक्षा प्राप्त देश–विदेश में घूम चुकी गुड़िया सी जब पैरों को हाथ लगाती है और प्यार से बोलती है तो फूल झड़ते हैं। ईश्वर उसे जीवन की हर खुशी नसीब करे। आजकल सोचने कहने और करने के लिए वह ही विषय–वस्तु है। घर में रौनक है, खुशियाँ हैं और चहक भरी है। –
सजी संवरी,
रुपसी या अप्सरा,
ओह! सुंदरा।
केश हैं खुले,
बैन हैं नपे–तुले,
नैन हैं सधे।
पर्दा न आज,
विवाह एक काज!
न कोई राज।
देखे जिधर,
सारे देखें उधर,
कहाँ नज़र?
सभी के जीवन में खुशियों की बहार आए! नया साल यादगार बन जाए!
दिसम्बर 30, 2007 को 02:17 |
नव वर्ष की आपको शुभकामनाएँ.. दुल्हन को प्यार व आशीर्वाद… आपकी खुशियाँ नए साल में और बढ्ती जाएँ…
उ०- धन्यवाद।
दिसम्बर 30, 2007 को 00:07 |
नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
उ०- धन्यवाद।
दिसम्बर 29, 2007 को 22:17 |
apki dulhan sada muskuraye,jeevan mein uski bahar sada aaye naye sal mein unke aur duguni khushiya aaye.apki dulhan ko dher sari badhayi aur naya saal mubarak.
उ०- धन्यवाद।