सच्ची इबादत

सिर्फ मंदिर में जाकर ही पूजा नहीं होती,
सच तो यह है कि पूजा कि कोई जगह नहीं होती।
इबादत नहीं है सिर्फ मस्ज़िद में जाकर सर झुकाना,
एक और इबादत है परोपकार के काम में मन लगाना।
गुरुद्वारे में मत्था टेकने से सब कुछ होगा,
अगर गुरुओं की सीख को मन में भरा होगा।
गिरिजाघर में सच्ची प्रार्थना कैसे होगी?
अगर हमारी आत्मा जाग्रत नहीं होगी।
ना समझ बनकर समय ना गवांओ,
सबसे पहले अपने मन को समझाओ।
पृथ्वी पर ही स्वर्ग और नरक है,
इस पर ही समस्त दुर्गंध और महक़ है।
जिसे मानते हो भगवान या ख़ुदा,
वो ही तुम्हारी आत्मा में है नहीं तुमसे ज़ुदा।
सच्ची इबादत है पृथ्वी पर प्रेम बरसाना,
हिंसा और नफ़रत को जड़ से मिटाना।
करनी है सेवा तो करो नदियों की,
बनाए रखो पवित्रता उनकी सदियों की।
रक्षा हो उन वृक्ष देवताओं की,
जो रक्षा करते हैं हमारी सांसारिक वेदनाओं की।
झुकाओ सिर आराध्य सूर्य के भी आगे,
ब्रह्मांड का पिता है जो सृष्टि का आधार लागे।
पवित्र रखो पवन को भाव-भक्ति से,
कभी जीवन नहीं होगा बिन उसकी शक्ति के।
करनी है पूजा अगर भगवान की,
तो बढ़ाओ सामंजस्य और इज़्ज़त इंसान की।
सब प्राणियों में ही ख़ुदा का वास है,
जो करता है प्यार जीवों से वही उसके पास है।

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7 Responses to “सच्ची इबादत”

  1. Deepak Agarwal Says:

    Sachchi muchchi – sabse achchee hai.

  2. deepshikha70 Says:

    bahut sundar abhivyakti…keep it up
    deepa

  3. MAN KI BAAT Says:

    रमण जी धन्यवाद।स्वागत-पृष्ठ देखना नहीं भूली। आभारी हूं ज्ञानवर्धन हेतु।

    दीपकजी कविता पसंद आयी धन्यवाद।
    शुभेच्छु
    प्रेमलता पांडे

  4. deepak Says:

    bahut achchhe ibaadat hai, is kavita me aapne ek sachchee baat bahut hee sundar shabdon me kahee hai, aapkee aur rachnaon ki pratiksha rahegi…….

    deepak

  5. Raman Kaul Says:

    बहुत अच्छा लिखती हैं, प्रेमलता जी। नए हिन्दी चिट्ठाकारों के लिए बनाया गया स्वागत पृष्ठ देखना न भूलें।

  6. MAN KI BAAT Says:

    dhanyavaad sameer ji
    shubhechchhu
    premlata

  7. Udan Tashtari Says:

    bahut sundar bhav aur vishay hai, badhai.
    Sameer lal

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